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जितना अपने अकेलेपन को
सिगरेट की तरह सुलगाओ
उतना ही उसका धुआँ
कोयला बनकर फेफड़ों में जमेगा।
सरिता डांगी
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सिगरेट की तरह सुलगाओ
उतना ही उसका धुआँ
कोयला बनकर फेफड़ों में जमेगा।
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