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प्रेम की ताक़त
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“भीतर दबा समंदर
कुछ खारा और कुछ सूखा हो सकता है
बरसते बादल भी
उसे कई बार सींच नहीं पाते…”
नदी से मिली प्रेम की
एक बूँद,
उसे इतना मीठा कर जाती हैं
कि वो वापिस लौट नहीं पाता,
या लौटना नहीं चाहता
और फिर कभी सूखना नहीं चाहता।
सरिता डांगी
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