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तुम मेरी
अंतिम यात्राओं के प्रहरी रहना
मेरे चेहरे पर ढूँढना खुद को
मैं तुमसे कभी दूर थी ही नहीं
बस तुमने ही खो दिया
मुझे कही …
तुम अपना
ज़मीर पकड़े रहना चाहते थे
और मैं,
केवल और केवल तुम्हें …
सरिता डांगी
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