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टुकड़ों-टुकड़ों में बटी
थक हार कर,
मैं काम से
जब
घर वापिस आती हूँ
तो एक मासूम सी
आवाज़ आती है
जो …”माँ” कहती है …
और मैं …फिर से …
पहले सी
जुड़ जाती हूँ।
सरिता डांगी
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टुकड़ों-टुकड़ों में बटी
थक हार कर,
मैं काम से
जब
घर वापिस आती हूँ
तो एक मासूम सी
आवाज़ आती है
जो …”माँ” कहती है …
और मैं …फिर से …
पहले सी
जुड़ जाती हूँ।
सरिता डांगी
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