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नहीं तुमको बदलना चाहते हैं ख़ुश रहो तुम।
वज़ह कोई न बनना चाहते हैं ख़ुश रहो तुम।
तुम्हारी जिंदगी है तुम जिओ जैसे भी चाहो,
ज़रा हम भी संवरना चाहते हैं ख़ुश रहो तुम।
मिटाई आज तक खुशियां सभी खातिर तुम्हारे,
खुशी क्या है समझना चाहते हैं ख़ुश रहो तुम।
फिज़ाओं से उड़े खुशबू महक चारों तरफ हो,
सुनो, आजाद मरना चाहते हैं ख़ुश रहो तुम।
बहुत रोए ज़ेहन में हम अकेले ही अकेले,
कि अब खुल कर बिखरना चाहते हैं ख़ुश रहो तुम।
हमारे वास्ते कोई नहीं, कोई नहीं है
तभी हम खुद से मिलना चाहते हैं ख़ुश रहो तुम।
✍️ सरिता"ओम"
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