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तू परछाई है मेरी, तो कभी मुझे भी दिखाई दिया कर
ऐ जिंदगी ! कभी तो इक जाम फुर्सत में मेरे संग पिया कर
मै भी इन्सान हूँ, मेरे भी दिल में बसता है खुदा
मेरी नहीं तो न सही, कम से कम उसकी तो क़द्र किया कर
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