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ज़िंदगी में किसी के मौजूदगी से, कुछ ऐसा फर्क आ गया है
मेरे वजूद के नदियों में, समंदर सा तूफ़ान आ गया है
शिकायत है, सुकूं है, सिद्दत है, शांत हृदय भी है
एक बस तेरे होने से, बेरंग कैनवास पर रंग आ गया है
तुम्हारे साथ चलते चलते मिल ही जायेगी मंजिल
सफर को रास्तों पर एक नया यकीन आ गया है
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