सादगी's image
Share0 Bookmarks 30764 Reads0 Likes
कर दो दूर इन चरागों को
अब अंधेरे पसंद हैं मुझे
इकलौता होगा वो चांद मगर
अब तारे पसंद हैं मुझे

कह दो इन हवाओं से
अब सन्नाटे पसंद हैं मुझे
फूलों का भी कुसूर है क्या
अब कांटे पसंद हैं मुझे

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts