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वो ठेहेर गये जो बेह ना सके
वो चट्टान बने जो चल ना सके
वो रुकावट बने जो बढ ना सके
वो रेंगते रेह गये जो जीना सिख ना सके
वो ढेर हो गये जो जाग ना सके
वो केहतें गये जो बोल ना सके
वो चिल्लाते गये जो गुंज ना सके
वो सुनते गये जो हडबडा ना सके
वो केहेर ढाते गये जो सेह ना सके
वो बरसते गये जो गरज ना सके
वो सैलाब बने जो चूप हो ना सके
वो खो गये जो ख्वाब देख ना सके
वो बयां कर गये जो लिख ना सके
वो रोते रेह गये जो हंस ना सके
वो खाली हो गये जो पूरे बन ना सके
वो टुकडे हो गये जो गिन ना सके
वो जख्म दे गये जो घाव दे ना सके
वो.....वो..मर भी गये, जो सांस..ले ना सके....! ! !
संकेत कै भरेकर
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