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वो ठेहेर गये जो बेह ना सके
वो चट्टान बने जो चल ना सके
वो रुकावट बने जो बढ ना सके
वो रेंगते रेह गये जो जीना सिख ना सके
वो ढेर हो गये जो जाग ना सके
वो केहतें गये जो बोल ना सके
वो चिल्लाते गये जो गुंज ना सके
वो सुनते गये जो हडबडा ना सके
वो केहेर ढाते गये जो सेह ना सके
वो बरसते गये जो गरज ना सके
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