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हम क्यूं लिखा करते है
समाज को आईना दिखाते है
कितनो की उम्मीद पर खरा उतरते है
क्या दिल की बातें सच में बयां कर पाते है
इंसान को बस बातों में समझा पाते है
क्या हमारी आवाज लफ्जों में कितनो को सुनाई देती है
कोई सच में समझता है ,
या बस यूंही बह जाता है
कोई उम्मीद नहीं रखते है
फिर भी यही सोचते रहते है
जो खयाल जहन में है वो सब लिख जाते है
सोच के अंत तक , आखिरी सांस तक लिखते आ रहे है लिखेंगे और लिखते रहेंगे यही वादा करते है
यही पे निभाएंगे...!!!
© संकेत कै भरेकर
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