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हमसे भी एक बार ये गुनाह ऐ अजीम हुआ
उनसे इश्क़ हुआ और वो भी बेइंतेहा हुआ
लाजमी था खुद को भूल जाना उसके इश्क़ मे
खुद को याद आये हुए हमको जमाना हुआ
समझा रहे थे दोस्त मुझे इश्क़ की बारिकीया
दोस्त सब ये वोही थे जिनको कभी इश्क़ ना हुआ
मिले कोई और जिन्दगी तो जी लेंगे अगली बार
इस जिन्दगी में
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