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कल आई थी माँ सपने में
अंगीठी पर रोटी पका रही थी
पसीना पोछ मुझे देख-देख,
मुस्कुरा रही थी,
क्यों तुम थकती नहीं कभी
अब तो खत्म सब काम करो
ऐ माँ! कम से कम
सपने में तो आराम करो
- सुमन
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कल आई थी माँ सपने में
अंगीठी पर रोटी पका रही थी
पसीना पोछ मुझे देख-देख,
मुस्कुरा रही थी,
क्यों तुम थकती नहीं कभी
अब तो खत्म सब काम करो
ऐ माँ! कम से कम
सपने में तो आराम करो
- सुमन
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