नियति's image
Share0 Bookmarks 92 Reads1 Likes

तुमसे बिछड़कर मैंने बनाया,

कविताओं को अपनी नियति।


और लिखता रहा रात दिन,

तुम्हारी यादों की संहति।


तुम पढ़ोगे तो पहचान लोगे,

मेरे शब्दों की अभिनति।


क्योंकि प्रकाश और ध्वनि से भी,

तेज होती है मन की गति।


-संजू


No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts