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सहेज सकती है, संभाल सकती है,
पत्थरों को भी सांचे में ढाल सकती है।
इतनी शक्ति दी है ईश्वर ने माँ को,
दुआओं से नियति का लिखा टाल सकती है।
सुख की निर्मल छांव या हो दुखों की धूप,
वो हर स्थिति में बच्चों को पाल सकती है।
माँ बनकर सुभद्रा अपने अभिमन्यु को,
जीवन के हर चक्रव्यूह से निकाल सकती है।
-संजू
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