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हमारे सभ्य समाज ने,
स्वीकार कर ली हैं,
वे स्त्रियां,
जो चलाती हैं कार,
बस, ट्रेन, वायुयान।
पर शायद ही कभी,
स्वीकार कर पाए,
उन स्त्रियों को,
जो खोलती हैं,
अन्याय के विरुद्ध जुबान।
-संजू
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