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सुनो, मैं तुम्हें कुछ वक़्त के लिए
भूल जाऊँ तो चलेगा न।
मैं अभी जरा व्यस्त हूँ अपना,
जीवन पटरी पर लाने में,
अपनों की खुशियों की खातिर,
कुछ कागज के टुकड़े कमाने में,
कुछ दर्द का मर्ज तलाशने में,
कुछ गम के आंसू छुपाने में,
कुछ खोये सपने ढूंढने में,
कुछ बिछड़ी हसरतें पाने में,
जो मुझे हासिल न हो सका,
वो सुख बच्चों को दिलाने में।
और इसके लिए शायद मुझे,
कुछ बरस या सदियां लग जाएं।
तो सुनो मैं तुम्हें अगले जनम में,
मिलने आऊँ तो चलेगा न।
◆संजू◆
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