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ना इक़रार के लिए होते है ना इनकार के लिये
कुछ रिश्ते तो बन जाते है सिर्फ प्यार के लिए
इस्तेमाल के लिये चीजें है इंसान प्यार के लिए
हम तो ख़र्च हो गए ,किसीके ब्यौपार के लिये
जानते थे हकीकत, फिर भी अनजान बने रहे
वली नासमझ हो गए,सराबनुमा प्यार के लिए
नफरत की आंधिया दबोच रही है चारो ओर से
गले लगालो मुझे ,तरसते है तेरे प्यार के लिए
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