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बरसने दे इनायतोंके अहसान मुझपर
थम जानेपर बारिश अच्छी नहीं लगती
न हाथ थामा है न दिलसे दिल मिले है
रूखी सुखी मुलाकात अच्छी नहीं लगती
दिनरात फिक्र करती हो और मिलके तग़ाफ़ुल
मुझे तुम्हारी ये आदत अच्छी नहीं लगती
महसूस कर रहा हूँ रूहका जिस्मसे छूटना
तुमसे बढ़ती हुई दूरी अच्छी नहीं लगती
वो मेरा है समझने में उसे ज़माना लग गया
हमेशा ही करती हो देरी अच्छी नहीं लगती
कभी कभार तू भी तो प्यार जता मुझसे
मेरे ही हिस्सेमें सबूरी अच्छी नहीं लगती
आदाब ,रियायत और आपकी ये तहज़ीब
भूखमरी हालातमें शायरी अच्छी नहीं लगती
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