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शब ए गम को गले लगाती ये शाम ए तन्हाई 

सुकून दिल को ये भी तेरे शहर सहर होगी आई

तो फिर कुबूल ये ग़म, गीले शिकवे और ये जुदाई

खूबसूरती बढ़ाती, जाफरानी किरन तेरे चेहरे पे होगी छाई

©Sangita Paithankar

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