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शब ए गम को गले लगाती ये शाम ए तन्हाई
सुकून दिल को ये भी तेरे शहर सहर होगी आई
तो फिर कुबूल ये ग़म, गील
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शब ए गम को गले लगाती ये शाम ए तन्हाई
सुकून दिल को ये भी तेरे शहर सहर होगी आई
तो फिर कुबूल ये ग़म, गील
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