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थम जाए जब तूफ़ान,
घर आ कभी!
बात करेंगे!
बात न चाँद की करेंगे,
न आसमान की करेंगे।
ख़्वाब सारे फेंक आना समंदर में,
मुल्क की मिट्टी,
बाँध लाना मुट्ठी में।
बात हम टूटे ख़्वाबों की नहीं,
ख़ाक से उठ,
नए ख़्वाब बोने की करेंगे।
-संदीप गुप्ता SandySoil
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