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उम्मीद-ए-सहर में बैठा है आलम सारा,
कोई कहता है, दवाओं का ले सहारा,
कोई कहता है, दुआओं का होगा असर।
मैं, दवा भी लूँगा, और दुआ भी माँगूगा,
रहूँगा अलहदा, जब तक होगी ना सहर।
रार नहीं ठानूँगा, हार नहीं मानूँगा।
जो देता है सहरा को दरिया,
वो मुझे शुआ-ए-सहर भी देगा।
-संदीप गुप्ता SandySoil
*शुआ-ए-सहर - सुबह की किरण/उषा किरण ray of morning
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