जीवन तो है ४ दिन, जानत है हर कोय,
फिर काहे लगा नक़ाब सौ, सब फिरत रहे इतराय।
सुन रे, मति संसार की ऐसी फिरी है आज,
सूरत रास ना आवे वो, जि
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