रीत दान की ऐसी रही जबसे ये संसार,
कुछ दान करें छुपाय के, कुछ दान करें दिखाय।
सुन रे, मति संसार की ऐसी फिरी है आज,
उस दान को ये दान ना कहे, जो
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