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सलाम है उसको जो,
लड़ता है,
तूफ़ानों से,
साँसे उखड़ने तक।
मेरे लिए!
तेरे लिए!
उसके लिए!
सलाम है उसको जो,
जीता है,
बचे हुए २ दिन,
चार दिन की जिंदगानी के,
मेरी!
तेरी!
उसकी!
साँसों को,
ज़िंदा रखने के लिए।
-संदीप गुप्ता SandySoil
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