
Share0 Bookmarks 79 Reads1 Likes
फुकरे थे, फिरते थे ख़ाक ज़माने की छानते,
हुनर तो हममें भी कम नहीं,
पता चला जो घर बैठे हम चार दिन।
No posts
No posts
No posts
No posts
फुकरे थे, फिरते थे ख़ाक ज़माने की छानते,
हुनर तो हममें भी कम नहीं,
पता चला जो घर बैठे हम चार दिन।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments