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तूफ़ानों का दौर है,
आँधियाँ तो चलेंगी ही।
किसी का टूटेगा घर,
किसी का मुकद्दर।
थमने दे तूफ़ान ज़रा!
वो! फिर से बन जाएगा,
मुकद्दर का सिकंदर,
वो! जो! आज भी,
फैंके हुए पैसे नहीं उठाता।
-संदीप गुप्ता SandySoil
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