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क्यूँ ख़्वाब

sandysoilsandysoil June 16, 2020
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सुकून गर ख़ूब हैं ज़मीं पर तुझको,

तो क्यूँ ख़्वाब उड़ने के देखता है तू।

माना पंख मिले हैं तुझको,

शिद्दत से, मुद्दतों बाद,

इश्क़ आसमाँ की जगह,

धरा से लड़ा कर तो देख।

पंछियों को कई, दूर नीड़ से,

उड़ जाते तो देखा है,

पर नीड़ की ओर,

बरसों,

उड़ लौट आते नहीं देखा।


-संदीप गुप्ता SandySoil

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