कुछ रिश्ते रेलगाड़ी के सफ़र की तरह होते हैं,
साथ थोड़ा ही सही, पर यादगार होता है।
सफ़र ख़त्म होने के बाद, फिर हम,
उन यादों को साथ लिए घूमते रहते है।
-संदीप गुप्ता SandySoil
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