ख़्वाब गर कागज पर लिखने भर से हो जाते पूरे,
तो मैं, अब तक यक़ीनन,
एक शहंशाह बन गया होता,
जिसके साम्राज्य में,
हर घर में,
काग़ज़ों का अंबार होता।
No posts
Comments