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ख़ुशियाँ बटोरने के लिए

sandysoilsandysoil June 16, 2020
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दरवाज़ा खुश है,

कि बंद रहेगा वो,

कुछ दिन और।

खुश है,

कि ख़ुशियाँ क़ैद हैं भीतर, 

कुछ दिन और।


खुश हैं माएँ, पत्नियाँ,

खुश हैं बेटे, बेटियाँ

खुश हैं पिता, पति,

खुश हैं साथ साथ सब,

एक छत नीचे।


दरवाज़ा और दीवारें गवाह हैं,

ख़ुशियाँ जो बिखरी हैं भीतर,

उन्हें बटोरने कोई गया था,

कभी, बाहर उन्हें लाँघ।

ख़ुशियाँ बटोरने के लिए,

किसी को तो,

फिर से,

लाँघना होगा उन्हें,

बाहर जाने के लिए,

जल्द ही।

-संदीप गुप्ता

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