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माना कि बंद हैं दरवाज़े, मिलने की मनाही है,
बेधड़क, खिड़कियाँ दिल की तू खोल के रख।
थम जाए जिंदगानी चारदिवारी में, मुमकिन है,
जश्न-ए-ज़िंदगी हर हाल में तू जारी रख।
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माना कि बंद हैं दरवाज़े, मिलने की मनाही है,
बेधड़क, खिड़कियाँ दिल की तू खोल के रख।
थम जाए जिंदगानी चारदिवारी में, मुमकिन है,
जश्न-ए-ज़िंदगी हर हाल में तू जारी रख।
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