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तू बाहर क्यों गया?
उसने पूछा।
तुझे क्या?
मैने कहा।
तू जहाँ है वहीं रह,
और चुप रह!
मैं कभी भी, कहीं भी जाऊँ,
कभी भी, कहीं से भी आऊँ,
तुझे क्या?
वैसे भी तू, कर भी क्या सकता है,
वहीं टिके रहने के सिवा।
दरवाज़ा कहीं का!
वैसे तुझे बता दूँ,
तू है ज़िंदा इस दीवारों के कारण,
और ये दीवारें है ज़िंदा,
मेरे कारण।
सुन कर,
चुप थी दीवारें।
चुप था दरवाज़ा।
अचानक, दरवाज़ा धड़ाम से गिरा,
उसे शायद गहरा सदमा लगा।
दीवारों ने भरकस कोशिश की,
पर उसे बचा ना सकी।
-संदीप गुप्ता SandySoil
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