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बात, बात न करने की हुई थी,
पर तुमने वादा खिलाफ़ी की!
तुम चार थी, मैं अकेला,
छत गवाह है, पूछ लो!
पूछ लो, पहल किसने की,
कर लो तसल्ली कमबख़्त 'दीवारों'!
पर पूछना ज़रा आहिस्ता ही,
क्योंकि दीवारों के भी कान होते हैं।
-संदीप गुप्ता SandySoil
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