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तनहा सफ़र है,
बैठा हूँ घर पे,
शाम-ओ-सहर।
खाई है क़सम,
सह लूँगा तनहाइयाँ,
छानूँगा ख़ाक मगर,
बाहर नहीं निकलूँगा,
जीतूँगा कोरोना से।
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तनहा सफ़र है,
बैठा हूँ घर पे,
शाम-ओ-सहर।
खाई है क़सम,
सह लूँगा तनहाइयाँ,
छानूँगा ख़ाक मगर,
बाहर नहीं निकलूँगा,
जीतूँगा कोरोना से।
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