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संभल के मिलना, संभल के चलना,
संभल के इश्क़ लड़ाना।
सब कुछ सीखा झटपट हमने,
जुबाँ की कैंची, पर, अब भी बेक़ाबू,
कैसे हो इसपे क़ाबू?
जाने से पहले, ओ कोरोना!
ये भी सिखाते जाना।
--संदीप गुप्ता
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