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न टूटने का सलीक़ा आया,
न तोड़ने का हुनर पाया,
जिससे भी मिले हम,
दिल खोल के मिले,
किसी ने गले लगाया,
किसी ने हमें आज़माया।
इश्क़ जब भी किया,
यही सोच कर किया,
गर टूटेगा दिल,
सह लेंगे मुस्कुरा के।
हुनर दिल तोड़ने का लेकिन,
अभी तक,
मैं सीख न पाया।
-संदीप गुप्ता SandySoil
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