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ज़माने के दस्तूर हैं जुदा दोस्तों।
ग़म सबके हैं यहाँ जुदा दोस्तों।
कोई अपनों से है ख़फ़ा,
कोई ग़ैरों से दोस्तों।
ग़म-ज़दा है कोई,
हवा के झोंकों से,
कोई है बारिश की बूँदो से दोस्तों।
ग़म जुदा हैं, दवा भी हैं जुदा दोस्तों,
किसी की दवा है दवा,
किसी की दवा है 'दोस्त' दोस्तों।
~संदीप गुप्ता SandySoil
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