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तू पिए जा रहा है,
मैं जिए जा रही हूँ।
तू जितना लड़खड़एगा,
मै उतना खिलखिलाऊँगी,
तू गिर पड़ेगा धुत कहीं,
मैं फ़र्राटा दौड़ लगाऊँगी,
ओ प्रिय नशेड़ी!
ख़ूब पी,
प्रतिदिन पी,
गिर, पड़,
झड़ जा।
अर्थव्यवस्था मैं देश की,
टिकी हूँ तुझ पर,
वहन कर!
भार मेरा तू वहन कर!
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