अक्षर रेत पर लिखे मैने,
बैर हवाओं से कर बैठा।
टूटी कश्ती ले चला समंदर,
बैर लहरों से कर बैठा।
अहमक़, हूँ, नादाँ हूँ मैं,
अंधेरों से लड़ने की ज़िद में,
बैर रोशनियों से कर बैठा।
-संदीप गुप्ता SandySoil
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