मेरी वफ़ा का ना ले तू इम्तिहाँ इस क़दर,
आइना हूँ!
तेरे हाथों टूट कर भी,
टुकड़े-टुकड़े में,
अक्स तेरा ही तुझे दिखाऊँगा
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