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आज आसमान से मुलाक़ात हुई।
नहीं! मैं नहीं गया उससे मिलने,
वो ही आ गया था।
कुछ दिनो से स्पष्ट देख पा रहा हूँ,
तुम्हे, और धरा को।
जाँचने आया था,
कि दृष्टि भ्रम तो नहीं हुआ है मुझे कहीं।
नीचे धरा पे लॉक-डाउन है,
तुम तो बाहर निकलोगे नहीं,
सोचा मैं ही चलता हूँ,
सच का पता कर आता हूँ।
लॉक-डाउन के बाद भी,
क्या इतना ही स्पष्ट,
देख पाउँगा मैं?
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