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रस्ते हो उबड़-खाबड़,फिर भी उस पर चलना है।
नाउम्मीद हो तो भी अंधेरों में जलना है।
जरुरी नहीं हर चीज मन मुताबिक हो,समय के साथ साथ ढ़लना जरूरी है।
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नाउम्मीद हो तो भी अंधेरों में जलना है।
जरुरी नहीं हर चीज मन मुताबिक हो,समय के साथ साथ ढ़लना जरूरी है।
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