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शायद भुल गया है इंसान ,आखिर जिंदगी हैं क्यों...
सही समझ कर खुद को
औरों की गलतियां ढूंढने में लगा पड़ा है
तू बेशक सही समझ खुद को ,दुनिया गलत क्यों
शायद भुल गया है इंसान , आखिर जिंदगी है क्यों
मैं कितना धार्मिक हु,मैं सब ज्यादा इबादत करता हु
आखिर भगवान के लिए दिखावा क्यों
हैं तो दिल में रख दुनिया को जताना क्यों
शायद भुल गया है इंसान ,आखिर जिंदगी हैं क्यों...
है कोई अपना तुम्हारा ,साथ उसके रहो
है कोई पराया तुम्हारे लिए ,बात उसकी ना करो<
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