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उसके आने की आहट से,
मन में उत्साह भर आया;
उसकी किलकारियां सुन,
खुशी की लहर दौड़ पडी;
हसीन ज़िन्दगी की रौनक और भी बढ़ गई।
हमें प्यारी सी बिटिया,
और राजा-भाई को बहना-रानी मिल गई।
हमारी गृहस्थी पूरी हो गई।
वह बेटी जब पढ़-लिख कर,
अपने पैरों पर खडी हुई,
हमारी खुशी दुगुनी हुई।
कभी उसकी नादानियों ने परेशान किया।
तो कभी उसकी समझदारी ने सिर गर्व से ऊंचा किया।
ब्याह कर वो विदा तो हुई;
पर दिल से कभी जुदा ना हुई।
संतोष मिलता है ये देख कर कि,
बेटी बन कर मायके का,
बहू बन कर ससुराल का,
और अपनी संतान का मज़बूत आधार बनी।
भाई को कलाई पर बंधी राखी से,
बहना की दुआएँ मिली।
उन दुआओं ने भाई की रक्षा की।
क्यों कहते हैं कि बेटियां पराया-धन होती हैं?
बेटियां तो अपना वो अंश होती हैं,
जो जीवन भर साथ निभाती हैं।
सम्रिता®
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