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कान के साथ,
यदि दीवारों की ज़ुबाँ भी होती,
तो इतिहास की कहानियाँ,
कुछ और ही दृश्य दिखाती।
सत्ता की लालसा और राजनीति,
उन में भी होती पर,
षड़यंत्र की दास्तानें शायद,
कुछ और हकीकत बयाँ करती।
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