औरत©'s image
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ममता की मूरत हूँ,

दया की ना समझना।

मन कोमल है मेरा,

पर मुझे कमजोर ना समझना।

अन्याय या अत्याचार की माफ़ी नहीं, 

मिलेगी सिर्फ कड़ी सज़ा।

औरत हूँ इसलिए,

मेरे पैरों में बेडी ना बांधना।

चार दीवारों के बीच,

कैद करने की कोशिश ना करना।

पर हैं मेरे, 

मुझे पसंद है उड़ना।

बस एक नहीं, हर दिन है हमारा।

सिर्फ तुम ही नहीं, 

हम से ये जहाँ है सारा।

सम्रिता®

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