कैसे जी रहा हूं मैं's image
Poetry1 min read

कैसे जी रहा हूं मैं

Samkit JainSamkit Jain February 6, 2023
Share0 Bookmarks 47331 Reads1 Likes
रोज़ सुबह बुनता हूं रोज शाम उधड़ रहा हूं मैं ,
जिंदगी की उलझनों में दिन-ब-दिन उलझ रहा हूं मैं 

बुझाने गले की प्यास अपने ही आंसू गटक रहा हूं मैं ,
खोया मुसाफ़िर हूं सूरज के उजालों में भी भटक रहा हूं मैं 

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts