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ए वक्त और मुश्किल तू अब आंख मत दिखा
तेरी रहमत से पला हूं थोड़े
मैं खुद के हौसले भरे पंखों से उड़ता हू
तेरे पैरो से चला हूं थोड़े
लाख बंदिशें लगा ले चाहे लाख पहरे लगा दे पर अब मैं रुकुगा थोड़े
लगा ले पूरी की पूरी कायनात मुझे झुकने में पर साला झुकुगा थोड़े
तेरी दी हुई हर मुश्किल को कठिनाइयों से उलझाऊगा
बंजर जमीन पर भी फूल खिलाऊगा
ए हालत तू मुझे आंख दिखा कर जो डरा रहा है
अरे तुझसे डरा हूं थोड़े
आखिरी सांस तक लडूगा कमबखत मुझे मुर्दा समझ रहा है
अरे अभी मरा हूं थोड़े।
समीर संघर्ष
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