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मेरे हृदय के मध्य में उठी लहर तुम हो,
मेरे लिए तो जाड़े की वो दोपहर तुम हो,,
जो दिल को सींचती हो तुम उतर के आंखों में,
क्या दिल के खेत में उतरी हुई नहर तुम हो,,
हो मेरे प
मेरे लिए तो जाड़े की वो दोपहर तुम हो,,
जो दिल को सींचती हो तुम उतर के आंखों में,
क्या दिल के खेत में उतरी हुई नहर तुम हो,,
हो मेरे प
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