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नुक्कड़ वाली चाय!

Sameer KambleSameer Kamble August 30, 2021
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दोस्ती में कहां मायने रखता किसकी कितनी आय!

अहम हो जाती संग पी हुई सादी नुक्कड़ वाली चाय,

दोस्ती में न कोई जात धर्म,

बस एक दूजे का साथ मर्म,

उपलब्धता उनकी काफी चाहे हो गुमसुम सी अंधेरी रात,

ज़िक्र न होता क्या उपकार , क्या खैरात!

इंसानियत ही रहे अव्वल भावार्थ,

अपनों संग यादें सहेजूं मैं होकर निस्वार्थ,

हम संग आरंभ करते शुभ काम स्मरण करके श्री गणेश,

मुल्क बस अलग हैं प्रेम से ही तो मुंह से निकले बिस्मिल्लाह!

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